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संतुलन में छिपी विकास कि राह
शरीर और मस्तिष्क के मिलकर काम करने से उर्जा का स्वभाविक रूप से नवीनीकरण होता है|
शरीर को इस तरह से बनाया गया है कि यह आश्चर्यजनक रूप से लंबे समय तक उर्जा का उत्पादन कर सके| अगर कोई व्यक्ति अपने शरीर का समुचित ध्यान रखे यानी खान-पान, व्यायाम, नींद,शरीरिक व्यसनों से मुक्ति इत्यादि पर ध्यान दे तो शरीर अपने आपको अच्छी तरह से स्वस्थ रख सकता है| अगर आदमी आनुवंशिक या स्वयं द्वारा प्रदत नकारात्मक भावात्मक प्रतिक्रिया द्वारा
अपनी उर्जा का क्षय होने देता है तो उसके पास जीवंत शक्ति कि कमी होगी| जब शरीर, मस्तिष्क और आत्मा मिलकर काम करते हैं तो व्यक्ति कि स्वभाविक अवस्था उर्जा के लगातार नवीनीकरण कि होती हैं|


दुनियां के महानतम आविष्कारक थामस अल्वा एडिसन के बारे में कहा जाता है कि जब वे कई घंटों कि मेहनत के बाद अपनी प्रयोगशाला से घर आते थे तो अपने बिस्तर पर लेट जाते थे|


तत्काल वे किसी बच्चे कि तरह स्वभाविक रूप से गहरी और बाधारहित नींद में सो जाते थे| चार या कई बार पांच घंटों के बाद जब वे जागते थे तो वे पूरी तरह तरोताज़ा होते थे और अपने काम पर लौटने को उत्सुक रहते थे|


एडिसन कि पत्नी ने एक बार कहा था कि वे पूरी तरह से प्रकृति और ईशवर के सामंजस्य में जीते थे| उनमे  कोई  असंतुलन नही था, कोई संघर्ष नही था, कोई भावात्मक अस्थिरता नही थी,कोई मानसिक गड़बडी नही थी| वे तब तक काम करते थे, जब तक उन्हें नींद कि जरुरत महसूस नही होती थी, फिर वे गहरी नींद में सो जाते थे और जब वे उठते थे तो फिर से अपने काम में जुट जाते थे| भावात्मक संतुलन और पूरी तरह विश्राम करने की उनकी योग्यता से उन्हें उर्जा प्राप्त होती थी| ब्रहामंडके साथ उनके अदभुत सामंजस्यपूर्ण सम्बन्ध के कारण प्रकृति ने उनके सामने अपने गोपनीय रहस्य खोल दिए|
सफलता के तरीके

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