5:16 AM

लीडर बनना है? पहले यह सीखें

भगवान गणेश देवताओं के मुखिया हैं। इसलिए उनका नाम गणपति या गणाध्यक्ष भी है। उनसे जुड़ा पुराण प्रसंग भी इस बात की पुष्टि करता है।
एक बार देवताओं का मुखिया चुनने के लिए तय हुआ कि जो तीन लोकों में घूमकर सबसे पहले आएगा, वह देवों का स्वामी बनेगा। सभी देवता अपने-अपने वाहनों से यात्रा पर निकले। किंतु भगवान श्री गणेश ने अपने वाहन चूहे के साथ माता-पिता यानि शंकर-पार्वती के आस-पास चक्कर लगाकर कहा कि माता-पिता से ऊंचा कोई पद नहीं और उनके चरणों से बड़ा कोई सुख और ऐश्वर्य नहीं है।
बाद में तीन लोकों में घूमकर आए सभी देवता भी श्री गणेश की यह बात सुनकर उनकी बुद्धि और तर्क की काट न कर सके। उन्होंने श्री गणेश की इसी बुद्धिमत्ता के कारण उनको अपना स्वामी मान लिया।
यह एक धार्मिक प्रसंग जरुर है, लेकिन इसमे जीवन से जुड़े संदेश छुपे हैं। यहां पर बताया जा रहा है इससे जुड़ा लीडरशिप का संदेश। श्री गणेश ने जगत को बता दिया कि परिवार, समाज या राष्ट्र के मुखिया बनने के लिए साधन और सुविधा की कमी या अभाव बेमानी है, बल्कि इसके लिए जरुरी है, वह गुण जिससे लोग आपके नेतृत्व को खुले दिल से स्वीकार करें।
इस प्रसंग में छुपे हैं लीडरशिप के वही गुण, जिसके अनुसार एक अच्छा लीडर बुद्धिमान, निर्णय क्षमता या डिसीजन पॉवर में दक्ष होना चाहिए। इसके साथ ही उसमें पैशेंस या धैर्य, मेंटल स्टे्रंथ यानि मानसिक बल, थॉटफुल या विचारक, ज्ञानी और दूरदर्शिता के गुण होना चाहिए। इसके अलावा लीडरशिप की सफलता के लिए परिवार में माता-पिता, बुजूर्ग और कार्यक्षेत्र की बात हो तो आप से ऊंचे पद पर बैठे लोगों का सम्मान और उनका आपके प्रति विश्वास, सहयोग और समर्थन बहुत जरुरी है। यह मिलता है विनम्रता और समर्पण के भाव से।
यही सब कुछ सिखाया भगवान श्री गणेश ने। इसलिए हम कह सकते हैं कि हम भी जीवन में जीत और ऊंचाई के लिए गणपति की पूजा कर उनसे बेस्ट लीडर होने के सूत्र सीखें।
सफलता के तरीके

11:15 AM

सफलता और शांति के लिए ऐसे करें जप

हर आदमी को जीवन में दो चीजों की जरूरत होती है, पहली सफलता और दूसरी शांति। हर कोई जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता चाहता है, परिवार, पढ़ाई, नौकरी, प्रेम और व्यवसाय। इसके लिए हम जिंदगीभर तरह-तरह के प्रयोग भी करते हैं और उनसे जूझते भी हैं, कई लोगों को सफलता भी मिल जाती है लेकिन शांति नहीं मिलती।

सफलता के साथ शांति भी चाहिए तो हमें थोड़ा आध्यात्मिक होना पड़ेगा। धर्म के जरिए छोटे-छोटे से प्रयोगों से हमें बड़ी सफलताएं भी मिलेंगी और सफलता शांतिभरी भी होगी। जप एक ऐसा ही प्रयोग है। जप अगर सही विधि से किया जाए तो इससे सफलता को ज्यादा अच्छे से हासिल किया जा सकता है। लोग जप के नाम पर केवल माला फेरते हैं और समझते हैं कि जप हो गया। जप करने की पूरी एक विधि और कुछ नियम होते हैं।

अगर इनके जरिए जप किए जाएं तो फिर कभी असफलता हाथ नहीं लगेगी।
- जप के लिए दो तरीके हैं या तो आप अपनी राशि के अनुसार बताए गए भगवान का जप करें या फिर जिस भगवान में आपकी आस्था हो उसका जप करें।
- जप के लिए सुबह सूर्योदय से पहले जागें, स्नान करने के बाद सबसे पहले सूर्य और तुलसी को अघ्र्य दें।
- जप के लिए ऐसे साफ कपड़े पहने, यह ध्यान रखें कि वे सिर्फ जप के समय ही पहने जाएं।
- एकांत में बैठकर सुगंधित अगरबत्ती जला लें और पहले दो मिनट तक ऊँ का उच्चारण करें।
- जब आपको लगे कि आपकी एकाग्रता बन चुकी है तो जप शुरू करें।
- कोई नियम न बनाएं कि कितनी माला करनी है, जब तक आपकी एकाग्रता बनी रहे, तब तक जप करते रहें।
- जप के बाद ध्यान रखें दिन में जब भी थोड़ा खाली समय मिले उस मंत्र को मन ही मन दोहराते रहें।
ऐसे जप करेंगे तो आपको काम में ज्यादा सफलता मिलेगी ही कभी परेशानी भी नहीं आएगी।

2:28 AM

हंसने का अंदाज भी खोलता है राज

कहते हैं कि हंसी वो हथियार है जिससे आप एक पल में ही किसी को अपना दोस्त या दुश्मन बना सकते हैं। कभी-कभी किसी की एक हंसी आपको उसका दीवाना बना जाती है तो दूसरे व्यक्ति की हंसी आपको उसका दुश्मन बना देती हैं फर्क होता है तो सिर्फ मौके का, पर आपने कभी ये सोचा है कि हंसने के तरीके से भी आप किसी के व्यक्तित्व के बारे में बहुत सी बातें जान सकते हैं। हां जान सकते हैं, ये हम नहीं कहते हैं ये तो ज्योतिष विज्ञान कहता है कि आप किसी व्यक्ति के हंसने के तरीके से भी उसके स्वभाव को जान सकते हैं।
- हंसते समय जिन लोगों के दांत बाहर नहीं आते हैं वे लोग अच्छे स्वभाव के होते है और विश्वास योग्य होते हैं।
-जो लोग हंसते समय सिर व कंधा हिलाते हैं वे भोगी, लालची व विश्वास करने लायक नहीं होते हैं।
- जिस व्यक्ति के हंसते समय गाल में गड्ढें पड़ते हैं। वे बुध्दिमान, अधिक बोलने वाले और अपनी बातों से दूसरों को प्रभावित करने वाले होते हैं ।
- जो लोग हंसते समय ज्यादा खिलखिलाते हैं व ज्यादा हिलते हैं, उनमे आत्मविश्वास की कमी होती है व रसिक मिजाज होते हैं।
- जिन लोगों के दांत हंसते समय ना दिखाई पड़े वे सौभाग्यशाली होते हैं ।
- जिसका चेहरा हमेशा हंसता हुआ सा दिखाई देता हैं वे जीवन मे लगातार उन्नति करने वाले होते हैं ।
- आंखे मूंदकर हंसने वाले व्यक्ति अच्छे नहीं होते हैं, ये परम्पराओं मे अधिक विश्वास नहीं रखने वालो में से होते हैं।

2:06 AM

वास्तु दोष: ये उपाय करें





घर का वास्तु हमारे जीवन पर व्यापक असर डालता है। वास्तु में की गई छोटी-छोटी गलतियों के कारण कई बार गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। कुछ सामान्य वास्तु नियमों का पालन कर हम वास्तु दोष से होने वाली दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। इसके लिए इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
1- जब भी पानी पीएं, अपना मुख उत्तर-पूर्व की ओर रखें।
2- भोजन करते समय थाली दक्षिण-पूर्व की ओर रखें और पूर्वाभिमुख होकर भोजन करें।
3- सोते समय दक्षिण-पश्चिम कोण में दक्षिण की ओर सिरहाना करके सोएं।
4- पूजा करते समय मुख उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम की ओर करके बैठें।
5- उन्नति के लिए लक्ष्मी, गणेश, कुबेर, स्वास्तिक, ऊं आदि मांगलिक चिह्न मुख्यद्वार के ऊपर स्थापित करें।
6- यदि ट्यूबवैल उत्तर-पूर्व में नहीं है तो अवश्य लगवाएं।
7- पूजा स्थल सदैव उत्तर-पूर्व (ईशान) कोण में रखें।

2:02 AM

बुद्धिमान संतान देता है ईशान मुखी भवन


 ईशान(उत्तर-पूर्व)दिशा के स्वामी भगवान रुद्र (शिव) तथा प्रतिनिधि ग्रह बृहस्पति हैं। भूखण्ड के ईशान दिशा में मार्ग हो तो भवन ईशानमुखी अर्थात ईशान्यभिमुख होता है। इस प्रकार का भूखण्ड बुद्धिमान संतान तथा शुभ फल देने वाला होता है। ईशान मुखी भूखण्ड पर निर्माण करते समय निम्न वास्तु सिद्धांतों का पालन करना चाहिए-
1- ईशानमुखी भूखण्ड ऐश्वर्य लाभ, वंश वृद्धि, बुद्धिमान संतान व शुभ फल देने वाला है। ऐसे भूखण्ड पर निर्माण करते समय ध्यान रखें कि ईशान कोण कटा व ढका हुआ न हो। प्रयास करें कि प्रत्येक कक्ष में ईशान कोण न घटे।
2- ईशानमुखी भवन में ईशान कोण सदैव नीचा रहना चाहिए। ऐसा करने से सुख-सम्पन्नता व ऐश्वर्य लाभ होगा।
3- ईशान कोण बंद न करें न कोई भारी वस्तु रखें। ईशान मुखी भूखण्ड में आगे का भाग खाली रखें तो शुभ रहेगा।
4- भवन के चारों ओर की दीवार बनाएं तो ईशान दिशा या पूर्व, उत्तर की ओर ऊंची न रखें।
5- ईशान के हिस्से को साफ रखें, यहां कूड़ा-कचरा, गंदगी आदि न डालें। झाड़ू भी न रखें।
6- ईशान मुखी भूखण्ड के सम्मुख नदी, नाला, तालाब, नहर तथा कुआं होना सुख, सम्पत्ति का प्रतीक है।
7- ईशान कोण में रसोई घर न रखें वरना घर में अशांति, कलह व धन हानि होने की संभावना रहती है।
8- घर का जल ईशान दिशा से बाहर निकालें। फर्श का ढलाव भी ईशान कोण की ओर रखें। 

1:56 AM

वास्तु: सुख-समृद्धि के अचूक उपाय

यूं तो पूर्णत: वास्तु सम्मत भवन बनाना काफी कठिन होता है। भवन बनवाते समय कहीं न कहीं त्रुटि हो ही जाती है। इन समस्याओं का समाधान सामान्य उपाय कर किया जा सकता है जिससे घर में भी सुख-शांति बनी रहती है। यह सामान्य उपाय इस प्रकार हैं-
1- सुख-समृद्धि व मन की प्रसन्नता के लिए बैठक कक्ष में फूलों का गुलदस्ता रखें। शयनकक्ष में खिड़की के पास भी गुलदस्ता रखना चाहिए।
2- घर में कभी भी कंटीली झाडिय़ां या पौधे न रखें। इन्हें लगाने से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
3- ऐसे पुष्प या पौधे को सजावट में न ले जिससे दूध झरता हो। शुभता की दृष्टि से ये अशुभ होते हैं।
4- शयनकक्ष में झूठे बर्तन नहीं रखना चाहिए। आलस्य के कारण ऐसा करने पर रोग व दरिद्रता आती है।
5- रात में बुरे सपने आते हों तो जल से भरा तांबे का बर्तन सिरहाने रखकर सोएं।
6- यदि गृहस्थ जीवन में समस्याएं हों तो कमरे में शुद्ध घी का दीपक प्रतिदिन जलाना चाहिए।
7- यदि शत्रु पक्ष से पीडि़त हो तो पलंग के नीचे लोहे का दण्ड रखें।
8- पवित्र स्थान या पूजा स्थल ईशान कोण(पूर्व-उत्तर) में ही बनवाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि आएगी।
9- टी.वी. या अन्य अग्नि संबंधी उपकरण सदैव आग्नेय कोण में रखें।
10- शयन कक्ष में नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करें। ऐसा करने से घर में क्लेश होता है। 

7:44 AM

राशि-मंत्र से खुलेंगे बंद दरवाजे


दुनिया के हर इंसान की प्रकृति अलग-अलग होती है। जो बात किसी एक व्यक्ति पर लागू होती है वह किसी दूसरे पर लागू हो यह आवश्यक नहीं। ज्योतिष में ऐसी निश्चित मान्यता है कि राशि के लिये मंत्र का जप करने से उस राशि पर पडऩे वाले बुरे प्रभावों पर तत्काल रोक लग जाती है। ग्रहों के बुरे प्रभाव तो रुकते ही हैं साथ ही सुख-सौभाग्य व सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। शुभ प्रभाव बढ़ाने, धन-संपदा व सुख प्रदान करने में ये मंत्र अत्यन्त प्रभावी माने जाते हैं। अत: जातक को अपनी राशि से संबंध रखने वाले मंत्र का जाप करने से निश्चय ही लाभ होता है।

किसी भी कार्य के लिये घर से निकलने से पूर्व, अपनी राशि के अनुसार मंत्र का २१-बार जप करने के बाद ही घर से निकलें। मंत्र के प्रभाव से कार्य में आने वाली बाधाएं समाप्त होंगी तथा सफलता के योग बनेंगे। नाम राशि जानने के लिये अपने नाम के प्रथम अक्षर से राशि देखना चाहिए- 



राशि                नाम का प्रथम अक्षर                            परफेक्ट-मंत्र

मेष                 चू चे चो ला ली लू ले लो अ.....?                  ऐं क्लीं सो:
वृषभ                इ उ ए ओ वा वी वू वे वो......?                    ऐं क्लीं श्रीं
मिथुन              का की कू घ ङ छ के को.....?                     क्लीं ऐं सो:
कर्क                 ही हू हे हो डा डी डू डे डो......?                    ऐं क्लीं श्रीं
सिंह.               मा मी मू मे मो टा टी टू टे.......?                 ह्रीं श्रीं सो:
कन्या             टो पा पी पू ष ण ठ पे पो.......?                    क्लीं ऐं सो:
तुला                रा री रू रे रो ता ती तू ते......?                    ऐं क्लीं श्रीं
वृश्चिक             तो ना नी नू ने नो या यी यू......?                 ऐं क्लीं सो:
धनु                  ये यो भा भी भू धा फा ढा भे......?               ह्रीं क्लीं सो:
मकर              भो जा जी खी खू खे खो गा ग.......?             ऐं क्लीं श्रीं
कुंभ                गू गे गो सा सी सू से सौ दा......?                  ऐं क्लीं श्रीं
मीन                दी दू थ झ ञ दे दो चा ची.......?                  ह्रीं क्लीं सो:

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