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लीडर बनना है? पहले यह सीखें

भगवान गणेश देवताओं के मुखिया हैं। इसलिए उनका नाम गणपति या गणाध्यक्ष भी है। उनसे जुड़ा पुराण प्रसंग भी इस बात की पुष्टि करता है।
एक बार देवताओं का मुखिया चुनने के लिए तय हुआ कि जो तीन लोकों में घूमकर सबसे पहले आएगा, वह देवों का स्वामी बनेगा। सभी देवता अपने-अपने वाहनों से यात्रा पर निकले। किंतु भगवान श्री गणेश ने अपने वाहन चूहे के साथ माता-पिता यानि शंकर-पार्वती के आस-पास चक्कर लगाकर कहा कि माता-पिता से ऊंचा कोई पद नहीं और उनके चरणों से बड़ा कोई सुख और ऐश्वर्य नहीं है।
बाद में तीन लोकों में घूमकर आए सभी देवता भी श्री गणेश की यह बात सुनकर उनकी बुद्धि और तर्क की काट न कर सके। उन्होंने श्री गणेश की इसी बुद्धिमत्ता के कारण उनको अपना स्वामी मान लिया।
यह एक धार्मिक प्रसंग जरुर है, लेकिन इसमे जीवन से जुड़े संदेश छुपे हैं। यहां पर बताया जा रहा है इससे जुड़ा लीडरशिप का संदेश। श्री गणेश ने जगत को बता दिया कि परिवार, समाज या राष्ट्र के मुखिया बनने के लिए साधन और सुविधा की कमी या अभाव बेमानी है, बल्कि इसके लिए जरुरी है, वह गुण जिससे लोग आपके नेतृत्व को खुले दिल से स्वीकार करें।
इस प्रसंग में छुपे हैं लीडरशिप के वही गुण, जिसके अनुसार एक अच्छा लीडर बुद्धिमान, निर्णय क्षमता या डिसीजन पॉवर में दक्ष होना चाहिए। इसके साथ ही उसमें पैशेंस या धैर्य, मेंटल स्टे्रंथ यानि मानसिक बल, थॉटफुल या विचारक, ज्ञानी और दूरदर्शिता के गुण होना चाहिए। इसके अलावा लीडरशिप की सफलता के लिए परिवार में माता-पिता, बुजूर्ग और कार्यक्षेत्र की बात हो तो आप से ऊंचे पद पर बैठे लोगों का सम्मान और उनका आपके प्रति विश्वास, सहयोग और समर्थन बहुत जरुरी है। यह मिलता है विनम्रता और समर्पण के भाव से।
यही सब कुछ सिखाया भगवान श्री गणेश ने। इसलिए हम कह सकते हैं कि हम भी जीवन में जीत और ऊंचाई के लिए गणपति की पूजा कर उनसे बेस्ट लीडर होने के सूत्र सीखें।
सफलता के तरीके

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