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अगर आप सफलता का मार्ग सुगम  व निष्कंटक चाहते है तो अपने विरोधियो को भी साथ मिला ले | इसके लिए उन्हें बस यह एहसास दिलाना जरूरी है कि उनकी राय भी आपके लिए महत्व रखती है |


आप दो तरह से  विरोधियो को वश में कर सकते है | पहला उनके साथ सख्ती से पेश आकर | दूसरा सोम्य तरीका है उन्हें विश्वास में लेकर परस्पर बातचीत करे ताकि अन्ततः वह आपकी बातो से सहमत हो जाए | इससे मुझे अब्राहम  लिंकन कि याद आती है ,जो कहते थे कि अपने शत्रु को पराजित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसे दोस्त बना लो | ठीक ऐसा ही किया राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने | कुछ दिनों पूर्व वे राज्य के जिलाधिकारियो कि बैठक ले रहे थे | इस बैठक में उन्होंने विभिन्न लक्ष्यों से जुडे कडवे सवाल जवाब में उलझने के बजाय उनसे प्रदर्शन और कार्यप्रणाली में सुधार के लिए सुझाव मांग लिए | ऊँची नाक वाली नौकरशाही और राजनीतिग्यों  के बीच अब शायद ही इस तरह का अपनापा बचा हो |इसे देखते हुए राज्य के मुखिया के रवैये में  यह बदलाव जिलाधिकारियो के लिए सुखद अनुभूति बनकर आया | जाहिर है विचारो के आदान-प्रदान के बीच मुख्यमंत्रियों  ने उनसे कह ही दिया कि राज्य के आम नागरिको के लिए वह ही सरकार का चेहरा है अतः उनके विभाग कि कार्यप्रणाली में किसी किस्म कि खोट नही होनो चाहिए | इन सकारात्मक शब्दों को सुनकर जिलाधिकारियो ने स्वतः ही उनसे कहा कि सप्ताह में पॉँच दिन के बजाय छह दिन का कामकाज होना चाहिए | इसके अलावा उन्होंने निर्धारित समय पर ही शराब कि दुकानों को बंद कराने जैसे अन्य मसलो पर भी विस्तृत चर्चा कि |   


फंडा यह है कि दोस्त और दुश्मन के बीच परस्पर  संवादहीनता समस्या बढाने का काम करती है | सफलता के लिए सुगम और सरल तरीके से बढने के लिए जरूरी है कि अपने विरोधियो को भी अपने साथ कर लो 
सफलता के तरीके

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